Sunday, August 8, 2010

त्रिवेणी

कल बारिशके शाम वो हमें तनहा छोड चले गये
और बीतें लम्होंको याद करते हम रातभर जागते रहे

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और फिर रात भर बारिश होती रही
...घरके बाहरभी, घरके अंदरभी|

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