Thursday, July 29, 2010

वंदे मातरम्‌





वेदमंत्रोंसे हमें है वंद्य "वंदे मातरम्‌"
राष्ट्रभक्ती प्रेरणा का गान "वंदे मातरम्‌"


वेदवाणी‍कृष्णवाणी ने विवेचित जो किया
ॐकार अनहत नाद का नवरूप "वंदे मातरम्‌"


जान्हवी कालिंदी गोदा सिंधू क्षिप्रा नर्मदा
बहती धाराओं का कलरव, शब्द "वंदे मातरम्‌"


शीश ऊँचा कर खडे है विंध्य सह्याद्री हिमेश
इनसे भिडते बादलों की गरज "वंदे मातरम्‌"


आसिंधुसिंधूपर्यंत फ़ैली है हमारी मातृभू
मातृभूमी अर्चना का स्तोत्र "वंदे मातरम्‌"


राम‍कृष्णादि सुरोंसे पूज्य हमको भरतभू
स्वयं ’गायत्री’ है ये, औ ’मंत्र’ "वंदे मातरम्‌"


स्वर्गकी आशा नहीं, मोक्ष हमको ना मिले
बस जन्म हो इस देश में, और गाये "वंदे मातरम्‌"




कठिण शब्दोंके अर्थ :
  1. वेदवाणी‍-वेद-वेदान्त
  2. कृष्णवाणी
    -श्रीमद्बगवद्गीता


  3. जान्हवी-गंगा
  4. कालिंदी-यमुना
  5. हिमेश-हिमालय
  6. आसिंधुसिंधूपर्यंत-भारतकी सर्वोत्कृष्ट व्याख्या
                                        "सिंधु नदीसे लेकर सिन्धू अर्थात्‌ समुद्र तक"





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